तरु की जीवन यात्रा

तरु की जीवन यात्रा एक दिन मे भी बोया जाऊँगा मुझमे भी अंकुरण होगा मेरी छोटी छोटी नन्ही नन्ही कोपले होंगी हवा के झोकों के साथ लहराउंगा फिर मे बडा हो जाउंगा अब मैं मजबूत हो जाउंगा आंधी तुफानो को भी सहन कर जाउंगा मेरे भी फुल लगेंगे बडा ही सुन्दर दिखलाऊगा मेरे आस पास भी तितलीयां मंडराएगीं मेरे फुलो मे भी निसेचन होगा मुझ पर भी फल लगेंगे मेरे बीज इस धरा पर बीखरेंगें नन्हे नन्हे से पोधै मेरे चारो ओर होंगें मेरा भी हरा भरा पुरा परिवार होगा मै इनका संरक्षण करुंगा मेरे सानिध्य में ये फलेंगें फुलेंगें अब मैं धीरे धीरे बुजुर्ग हो जाउंगा मेरे फल आने भी बन्द हो जाऐंगें मेरी छाल सुखने लगेगी मै अगली यात्रा को चला जाउंगा मेरा जीर्ण क्षीण खोखल रह जाएगा मेरे अवशेष पुनः पंचभूत में मिल जाएंगे अब फिर मिलेंगे 'सिम्पी' अगली यात्रा में ~"सिम्पी"~